भावार्थ-*९. वे प्रभु अनन्त सिरों, आँखों व पाँवोंवाले हैं। २. इस ब्रह्माण्ड को आबृत
करके इसकी रक्षा कर रहे हैं और इसके अन्दर निवास कर रहे हैं। ३. वे प्रभु इस दशांगुल
जगत् से परे भी हैं।
भावार्थ-*९. वे प्रभु अनन्त सिरों, आँखों व पाँवोंवाले हैं। २. इस ब्रह्माण्ड को आबृत
करके इसकी रक्षा कर रहे हैं और इसके अन्दर निवास कर रहे हैं। ३. वे प्रभु इस दशांगुल
जगत् से परे भी हैं।