Please enable javascript. ऋषिकेश में राफ्टिंग पर केंद्र से जवाब तलब - Rafting in Rishikesh explanation of the center - Navbharat Times

ऋषिकेश में राफ्टिंग पर केंद्र से जवाब तलब

नवभारतटाइम्स.कॉम | 2 Apr 2015, 9:00 am
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वरिष्ठ संवाददाता, नई दिल्ली उत्तराखंड में शिवपुरी से ऋषिकेश तक गंगा के किनारों पर अनियंत्रित रूप से चल रहे राफ्टिंग कैंप के मुद्दे पर नैशनल ग्रीन...

rafting in rishikesh explanation of the center
ऋषिकेश में राफ्टिंग पर केंद्र से जवाब तलब

वरिष्ठ संवाददाता, नई दिल्ली

उत्तराखंड में शिवपुरी से ऋषिकेश तक गंगा के किनारों पर अनियंत्रित रूप से चल रहे राफ्टिंग कैंप के मुद्दे पर नैशनल ग्रीन ट्रिब्युनल ने केंद्र से जवाब मांगा है। राफ्टिंग कैंपों को बंद करने की मांग करने वाली एक एनजीओ की याचिका पर एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अगुआई वाली बेंच ने मिनिस्ट्री ऑफ एन्वायरमेंट एंड फॉरेस्ट, मिनिस्ट्री ऑफ वॉटर रिसोर्सिस, उत्तराखंड सरकार व अन्य को नेाटिस जारी किया। याचिकाकर्ता के मुताबिक इन कैंपों की वजह से भी गंगा नदी का पॉल्यूशन बढ़ रहा है। मामले में अगली सुनवाई 8 मई को होगी। सुनवाई के दौरान उत्तराखंड सरकार ने बेंच को भरोसा दिलाया कि किसी भी कैंप को नया लाइसेंस जारी नहीं किया जाएगा ।

सोशल एक्शन फॉर फॉरेस्ट एंड एन्वायरमेंट(SAFE) की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि अथॉरिटीज इन इलाकों में फॉरेस्ट लैंड की क्षमता को अनदेखा कर रैफ्टिंग कैंप्स के लिए अंधाधुंध लाइसेंस बांट रही हैं। इनकी वजह से गंगा में प्रदूषक तत्व सीधे जाकर मिल रहे हैं, जिससे नदी में पॉल्यूशन बढ़ने के साथ उसकी इकोलॉजिकल इंटिग्रिटी पर भी बुरा असर पड़ रहा है। एडवोकेट राहुल चौधरी के जरिए दाखिल इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि अस्थाई रूप से लगने वाले इन कैंपों में न तो सीवेज की उचित व्यवस्था होती है और न ही साफ सफाई की सुविधाएं होती हैं। कैंपों की वजह से जगली जानवरों का आवास प्रभावित होने के साथ जगंल की शांत भी भंग हो रही है। कैंप मालिक साइटों पर अपने कर्मचारियों और विजिटर्स को खाना व शराब ले जाने देते हैं। वे खाली बोतलें, कैन, बचा-खुचा खाना और कूड़ा कचरा वहीं आसपास छोड़ कर चले जाते हैं।

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